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Muslim Girl Shabnam in Mahakumbh: मुस्लिमों के प्रवेश पर बहस के बीच शबनम को किसने लगाया तिलक और करवाई संगम में डुबकी

Muslim Girl Shabnam in Mahakumbh: महाकुंभ मेला हमेशा से ही अपने विशाल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है, लेकिन इस बार एक मुस्लिम लड़की शबनम शेख की उपस्थिति ने इसे और भी खास बना दिया। सोशल मीडिया पर शबनम शेख की तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिसमें वह तिलक लगाए हुए हैं और संगम में डुबकी लगा रही हैं। यह वही शबनम है, जिन्होंने पिछले साल अयोध्या के राम मंदिर में सिर झुका कर दर्शन किए थे। वह मुंबई से पैदल यात्रा कर रामलला के दर्शन करने आई थीं।

शबनम शेख की यात्रा और उनका स्वागत

शबनम की महाकुंभ यात्रा में एक बड़ा सवाल यह था कि एक मुस्लिम लड़की को इस धार्मिक स्थल पर कैसे प्रवेश मिला, खासकर उस समय जब महाकुंभ में मुस्लिमों के प्रवेश को लेकर विवाद चल रहा था। हालांकि, यह चौंकाने वाली बात नहीं थी, क्योंकि शबनम को स्वयं एक संत ने आमंत्रित किया था।

जगतगुरु आचार्य परमहंस दास का आशीर्वाद

महाकुंभ क्षेत्र में, अयोध्या के तपस्वी छावनी पीठाधीश्वर जगतगुरु आचार्य परमहंस दास ने शबनम को अपने शिविर में जगह दी। उन्होंने न केवल शबनम के ठहरने का इंतजाम किया, बल्कि जब शबनम उनसे मिलने आईं, तो आचार्य जी ने उन्हें तिलक और फूलों के साथ स्वागत किया। उन्होंने शबनम को संगम में पवित्र स्नान करने का भी अवसर दिया।

आचार्य जी ने कहा, “शबनम एक अच्छी बेटी हैं और उनके दिल में सनातन धर्म के प्रति सम्मान और प्रेम है। ऐसी बेटियां समाज को एकजुट करने का काम करती हैं। अगर कोई विरोध सिर्फ इसलिए हो कि उनके इरादे गलत हैं, तो वह ठीक नहीं है।”

Muslim Girl Shabnam in Mahakumbh: मुस्लिमों के प्रवेश पर बहस के बीच शबनम को किसने लगाया तिलक और करवाई संगम में डुबकी

समाज को एकजुट करने की पहल

शबनम शेख का महाकुंभ में प्रवेश यह साबित करता है कि धर्म और आस्था की कोई सीमा नहीं होती। उन्होंने समाज को एकजुट करने की दिशा में एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। आचार्य परमहंस दास ने कहा कि शबनम जैसे लोग हमेशा से धर्म, समाज और देश की एकता के प्रतीक होते हैं।

पिछले साल की सुर्खियाँ और इस बार का शांतिपूर्ण प्रवेश

पिछले साल जब शबनम ने अयोध्या के राम मंदिर में दर्शन करने के लिए मुंबई से पैदल यात्रा शुरू की थी, तो वह पूरे देश में सुर्खियों में आई थीं। हालांकि कुछ लोग इसे ड्रामा कह रहे थे, लेकिन शबनम को धमकियां भी मिली थीं। सुरक्षा कारणों से इस बार उन्होंने अपनी महाकुंभ यात्रा के बारे में सार्वजनिक रूप से जानकारी नहीं दी।

शबनम शेख की महाकुंभ यात्रा इस बात का प्रतीक है कि आस्था, सम्मान और प्रेम की कोई सीमा नहीं होती। उनका यह कदम समाज को एकजुट करने के साथ-साथ धार्मिक सौहार्द की दिशा में एक महत्वपूर्ण संदेश देता है। शबनम के इस कदम से यह साबित हुआ है कि महाकुंभ जैसा बड़ा धार्मिक आयोजन किसी भी व्यक्ति को अपने दिल में श्रद्धा और सम्मान रखते हुए स्वागत कर सकता है, चाहे वह किसी भी धर्म से संबंधित हो।

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